सत्संग के दृष्टांत कहानियां

सत्संग के दृष्टांत कहानियां 

सत्संग के दृष्टांत कहानियां


एक गुरु और शिष्य थे चातुर्मास समझते हो बारिश के दिन जब प्रारंभ हो जाते हैं एक स्थान से दूसरे स्थान में जाना मुश्किल होता है तो चातुर्मास का समय चल रहा था और उस चतुर्मास को पूरा करने के लिए अपनी कुटिया से बाहर अपने सिर से यह करके गुरुओं और से चेहरे में से ग्रस्त से कम चार महीने व्यतीत हुए पूजा सत्संग खूब चला खूब आनंदित हुआ सब ने सत्संग का लाभ लिया कि क्योंकि चातुर्मास से में जो संत होते महापुरुष वह एक ही स्थान पर ठहर जाते हैं।  

जहां उनके आसपास के लोग जो है वह इससे से प्रभावित होते हैं 


और उस सत्संग का लाभ उठाते हैं लाभान्वित हों तो फिर क्या हुआ गुरु और से चातुर्मास से पूरा करके हर क्षेत्र हरिद्वार की ओर ऋषिकेश के पास जहां उनकी कुटिया बनी हुई थी वहां चल पड़े बारिश का महीना था बारिश थम चुकी थी।

 अब अपनी कुटिया के पास पहुंचे यह जो सिर्फ है हर समय शिकायत करता रहता है यह ठीक नहीं भोजन ठीक नहीं भोजन में नमक ठीक नहीं और नमक भी डाला तो यह तेल अधिक हो गया मसाले अधिक हो गए ऐसा नहीं चलेगा विस्तृत ठीक नहीं कभी गाड़ी नहीं ठीक है तो कभी कोई व्यक्ति आया तो उसका आना ठीक नहीं कबीर वस्त्र ठीक नहीं यह मिला तो यह क्यों नहीं मिला ।

सत्संग के दृष्टांत कहानियां 

हम तो भगवान के भक्त है हमें कुछ यह प्राप्त क्यों नहीं हुआ वह हर समय शिकायत से भरा रहता है और जो सकते हैं कि वह शिकायत से भरा है पर योग गुरु है को धन्यवाद से भरे हैं वह जहां जाते हैं उसको कुछ भी कोई उपकार करता है उसका धन्यवाद करते हैं इस प्रकार से कहा और तू कहां अच्छा यह कैसे जब लौटकर चातुर्मास से पूरा करके अपनी कुटिया में आए तो देखा कुटिया के आधी छत उड़ गई थी कुटिया की आधी छत उड़ गई थी।

 टूट गई थी हवाओं ने उड़ा लिया था आधी शर्त रखी हुई थी अब से आया तो कहने लगा देखो गुरु जी यह भी कोई जीवन है हम तो ठहरे भजनानंदी हम भजन में लगे रहते हैं हम उस परमात्मा का भजन करते हैं यह हवा भी तो पर माकपा की दूध चिन्ह है तो यह सवा ने अक्षर यह क्यों नहीं सोचा कि एक एक संत की कुटिया है और यह हवा अंधी हो गई थी क्या और हवा-आंधी हो गई थी ।

उसने हमारी कुटिया लड़ाई तो परमात्मा ने हवा का हाथ क्यों नहीं पकड़ा हाथ परमात्मा चाहता तो हवा का हाथ पकड़ कर रोक लेता हूं कि तू मेरे भक्तों की कुटिया मथुरा कि जैसे हैं हम इन्हें भजन में लगे पड़े और हमारे लिए कुछ करते हैं यह सिखा यह भाव था शिकायत से जलता हुआ चित्र दो मुस्कराए और बोले बेटा मेरे प्रभु ने मेरे ठाकुर ने मेरे प्रियतम में जिसका हम भजन करते हैं ।

सत्संग के दृष्टांत कहानियां 

जरूर हवाओं का हाथ पकड़ा होगा क्योंकि हवाएं तो एनर्जी होती है अगर हवा का हाथ नहीं पकड़ा होता तो यह आधी बिटिया भी उड़ा ले जाते हैं कि आखिर क्यों इस बच्ची इसलिए उसका धन्यवाद है लाख-लाख धन्यवाद को उपाधि कुटिया की छत के नीचे आधी छत के नीचे से सोया ऊपर से टपक रही है मून ने पानी की क्योंकि कुटिया की छत थोड़ी-थोड़ी टूट गई है जिससे कहता है न दिन को चैन रात को चयनित दिन को दिनभर भजन करते रहो हवन करते रहो और रात भर ठीक से नींद भी पूरी नहीं होती।

 इधर-उधर करवटें बदल रहा है मच्छर आकर काट रहे तो शिकायत से भरा हुआ है गुरुजी जहां पर आधी कुटिया की छत टूट गई थी कुछ खुली छत के नीचे लेते हैं भीनी बारिश की बूंदें और बारिश थमी आसमान साफ हुआ तो पर सुंदर-सुंदर सितारे चमकने लगे पूरा आसमान आकाशगंगा सितारों से भर गई आकाशगंगा दिखाई देने लगी।

 आंख खुली गुरुजी कि जब अब ओर से पहले तीसरे पहर में तो ऊपर देखा आसमान का नजारा सितारों से भरा खुला आसमान सुंदर मीठी-मीठी वायु स्वास्थ्य भरा वातावरण गुरु जी बैठ गए उच्च कर तो हाथ उठा दिए और कहने लगे वह परमात्मा तेरा धन्यवाद है तेरे बिन के नजारे तो खूब देखे थे। 

अगर सपना टूट तो तेरे रात के नजारे नहीं देखने को मिलते वह अक्षर तेरा धन्यवाद वहीं पर दो लोग एक ही स्थिति ने लेकिन एक शिकायत से भरा है और दूसरा धन्यवाद से भरा है तो आज मेरी इस कथा पंडाल में बैठे हुए बंधुओं मातृशक्ति मैं आपसे पूछना चाहती हूं कौन महान है जो धन्यवाद से भरा है वह या जो शिकायतों से भरा है। 

वह है तो आप धन्यवाद करोगे आप अपने घर जाकर अपने पति को धन्यवाद करोगे कि अगर मुझे आप तथा मैं नहीं जाने देते तो मैं साथ भी नेता आनंद को नहीं प्राप्त कर पाती आपका धन्यवाद है जो आपने हमें कथा में जाने दिया अपने बच्चों से धन्यवाद करोगी कि आप अगर हमें रोक लेते तो शायद मैं इस आनंद से वंचित रह जाती जाकर अपनी पुत्रवधू को धन्यवाद करना। 

अगर तू घर की जिम्मेदारियां नहीं संभलती तो मैं तेरे पीछे कथा नहीं संपाती आपका बहुत-बहुत धन्यवाद है मैंने वह आनंद प्राप्त किया जो पति थमा बैठे हैं वह जा करके अपनी पत्नी से कहना देवी अगर तुम मेरी जिंदगी में नहीं आई होती तो यह मेरी सुंदर बगिया बच्चों से परिवार से नहीं बचती इसलिए आपने आप 25 सालों से मुझ जैसी को झेल रही हो आपका बहुत-बहुत धन्यवाद है। 

तो देखना आपके रिश्ते फिर मधुर हो जाएंगे 

आपके रिश्तो में फिर क्विता जाएगी एक दूसरे को धन्यवाद तो इतना तो देख सकते हो कोई बहरा थोड़ी मांग रही है कोई ज्वेलरी को धन्यवाद व् ही और जो है वह जो पत्नी भी अपने पति से कहा कि अगर तुम मेरे जीवन में तो मेरा जीवन तो नीरज था तुमने मेरे जीवन में रंग भर दिया। 

तुम्हारी तुमने मेरी सुरक्षा की हर मार्ग पर मेरी रक्षा की मेरा साथ दिया मेरे आंसू पोछे मेरा संबल में बने तुम नहीं होते तो मेरी दुनिया बिरान आपका बहुत-बहुत धन्यवाद है तो क्या कभी रिश्ते में खटास आई थी तभी होंगे छोटा सा धन्यवाद । 

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