किचन में क्या क्या नहीं करना चाहिए?
सबसे बड़ी भूमिका हम सबके घर में हमारे घर की रसोई की है और रसोई को हमारे शास्त्रों में अन्नपूर्ण का मंदिर कहा गया। आज विडंबना है कि हम लोग थोड़े आधुनिक हो गए तो रसोई को किचन कहने, किचन तो वह होता है जहां सुबह से किच किच शुरू हो।
जहां रस का निर्माण हो महाराज वह रसोई है। हमारे यहां विभिन्न प्रकार के रस बनाए जाते हैं। दुनिया के और देशों में सूप शास्त्र नहीं मिलेगा। हमारे व्यंजन शास्त्र है जितने व्यंजन भारतीय संस्कृति में मिलते उतने कहीं नहीं मिलेंगे।
आपको इतने प्रकार है महाराज उसके बाद भी यदि आपको मांस खाने को पड़ती है तो इससे बढ़कर विडंबना नहीं हो सकती। एक बात मैं बारबार हर जगह सुनाता हूं जगह मैं रुका था , मैया जी कहीं सुन लेंगे तो मन ही मन तो कहती होंगी कि महाराज अच्छे नहीं है हर जगह हमारी बात सुनाते हैं तो मैंने उनको देखा वो चप्पल पहन के रसोई में जा रही थी।
हमने कहा माता जी उधर कहां जा रही है चप्पल पहन के। तो महाराज जी वो वाला चप्पल नहीं है जिसको पहन के बाहर ये दूसरा चप्पल है, तो हमने कहा चलिए अच्छी बात है कि अलग अलग चप्पल आपने रख रखा है। अलग-अलग काम के लिए।
किचन में क्या क्या नहीं करना चाहिए?
लेकिन बस एक प्रश्न मेरा यह है कि चप्पल कितना भी स्वच्छ हो कितना भी सुंदर हो आप बाहर बिल्कुल ना जाए। लेकिन क्या भगवान के मंदिर में चप्पल पहन कर जाते हैं कितना भी अच्छा चप्पल होता है यदि भगवान के मंदिर में नहीं जाते तो रसोई भी अन्नपूर्णा का मंदिर है तो आप इस मंदिर में चप्पल पहन कर क्यों।
हमने रसोई को मंदिर नहीं बनाया
हमने क्या बनाया है थोड़ी गंभीर बात है किचन बनाया है और भी इससे भी एक गंभीर बात बताने जा रहा हूं जहां मुर्दे को जलाते उसे क्या कहा जाता है शमशान और जहा दफनाया जाता है उसे क्या कहते हैं।
आप शमशान से आते हैं तो नहाते होंगे, शमशान सबसे अपवित्र जगह मानी जाती है। अच्छा एक बात बताओ शमशान में होता क्या है मुर्दे को जलाते हैं कोई मर जाए तो उसको आग में जलाते हैं यही तो करते हैं। उसका मांस जले उसका चमड़ा यही तो होता है और जिसकी रसोई में किसी जीव को मार के काट के पकाया जाए जलाया जाए भुना जाए उसकी रसोई किसी शमशान से कम है बताओ।
उस जीव को उसके मांस को कोई पेट में डाल ले, उसका पेट किसी कब्रस्तान से कम है रसोई शमशान हो पेट कब्रस्तान हो आप सोचते होंगे कि हमारा उद्धार हो जाएगा तो परमात्मा भी आपका उद्धार नहीं कर सकते।
इसीलिए हमारे शास्त्र कहते हैं आहार शुद्ध सत्व शुद्धि यदि अपने जीवन में शुद्धि चाहते हो एक बात और याद रखो गाते हैं ना तुमने आंगन नहीं बुहारा कैसे आएंगे भगवान। सफाई तो चाहिए आप में सफाई है आप विचार करो आपने मांस दबा रखे हैं पेट के भीतर किसी जीव की हत्या हुई।
उसके मांस को पका कर पेट में डाल लिया पेट को कब्रिस्तान बना दिया अच्छी खासी शमशान हो गई है। इतनी बड़ी अपवित्र आपने अपने घर में बना रखी है और आप चाहते हैं आपका कल्याण हो तो संभव है।
यह बात शिव पुराण में गंभीरता से बताई गई सदाचार को अपनाओ ईश्वर ने हमें मांसाहारी नहीं बनाया। मांसाहारी बनाया होता तो आप जीभ से पानी पीते ऐसे तो बातें बहुत सी है बस एक मोटी बात बताऊं जो शाकाहारी है होठ से पानी पीते जो मांसाहारी जीभ से पीते हैं। मांसाहार के नाखून नुकीले और लंबे लंबे होते हैं ईश्वर ने आपको कुत्ता बिल्ली शेर नहीं बनाया मनुष्य बनाया।
किचन में क्या क्या नहीं करना चाहिए?
घोड़े को आपने कभी सुना है मांस खाया, घास खाता है। पक्षी दाना चूकते हैं। शेर मांस खाता है क्यों उसे पता है मेरा आहार क्या है और हम विवेकवानी हमारा आहार क्या है खाने पीने का विवेक पशु पक्षियों में है लेकिन हम तो सर्व भक्षी हो गए।
महाराज हम तो कुछ भी मार के खा ले कुत्ता बिल्ली जो मिले। अभी तो तमाम ऐसी खबरें न्यूज मिलती है कि पता नहीं किस मांस के जगह पर किसका मांस परोस दिया। कुछ भी खा ले रहे हैं लोग जहां बिल्कुल आहार में विचार शून्यता आ जाए उसका उद्धार नहीं हो सकता महाराज। इसलिए अपनी रसोई को अन्नपूर्णा का मंदिर बनाइए अपने जीवन में सदाचार लाइए।
अपने घर को सुंदर बनाइए
घर की सुंदरता किसकी है घर सज्जन का घर है बताने की जरूरत नहीं पड़ती। अच्छा बताओ लंका में हनुमान जी गए किसी ने बताया क्या कि सज्जन रहता है कैसे जान गए पास में खड़े थे और कोई उठा सो कर के और उठते उसके मुंह से क्या निकला स्वामी जी ने लिखा है- सज्जनता की पहचान क्या है जगते ही मुंह से राम निकले और जहां जगते ही मुंह से कांव काव निकले समझ लेना सज्जन तो नहीं है।
सज्जन के घर की पहचान क्या है राम नाम अंकित गृह घर के बाहर पहले लोग क्या लिखते थे भगवान का नाम लिखते थे। भगवान के आयुध का चिन्ह बनाते थे शंख चक्र तिलक लगा देते थे। आज भी किसी वैष्णव के घर में जाइए बताना नहीं पड़ेगा महाराज सब चिन्ह दिख जाएंगे। तुलसी के वृक्ष लगे हुए हैं।
आप आज किसी के घर में जाइए तो वही सब कुत्ते से सावधान है ना एक जगह गए और कुत्ता था ही नहीं हमने कहा कि भाई बोर्ड हटा दो नहीं आने वाला किसी को समझ सकता है।
अपने घर को सज्जन का घर बनाइए। अपने जीवन को सदाचार युक्त बनाइए। घर को मंदिर बनाइए। हम तमाम पीड़ा हों से गुजरते हैं तमाम लोगों के पास दौड़ते हैं तमाम दरबारों में हाजिरी लगाते हैं। हम चाहते हैं कोई ऐसा चमत्कारी मिल जाए जो चुटकी बजाते हमारे जीवन के सारे पीड़ा और दुख को नष्ट कर दे।
किचन में क्या क्या नहीं करना चाहिए?
संसार में जो लोग ऐसा दावा कर रहे हैं मात्र एक झूठ ही है जीवन का सबसे बड़ा चमत्कार है ईश्वर ने आपको मनुष्य बनाया है और जीवन में सबसे बड़ा चमत्कार तब घटित होगा जब आप ईश्वर को प्राप्त कर लेंगे। बिना वैदिक अनुष्ठान का आश्रय लिए जीवन की पीड़ा दूर होने वाली नहीं है।
चमत्कारों का चक्कर छोड़ कर के नित्य जीवन में एक आराधना अपनाए हर चीज का समय है। घूमने का समय है खाने का समय है। नहाने का समय है। बातचीत करने का है। लेकिन 5 मिनट भी पूजा करने का समय नहीं है।
अरे 5 मिनट तो छोड़ो 24 घंटे में 24 सेकंड भी नहीं लगते, कम से कम जहां आपने भगवान को रख रखा है वहां जाकर प्रणाम तो करो इतना भी तो हम नहीं करते। पर हम चाहते हैं हमारे जीवन में बस चमत्कार हो जाए।
जो चमत्कार करता है वह भी तो कुछ करता है। अपने जीवन में आराधना के लिए निश्चित समय जरूर निकालिए। जीवन उसी के लिए मिला है कुछ भी ना करो तो कम से कम प्रात काल स्नान करके भगवान को प्रणाम करो और हमारे भगवान इतने कृपालु है एक बार प्रणाम भी कर लो तो जीवन के सारे पाप को नष्ट कर देते हैं।